Ganesh Visarjan 2023: भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण पर्व

Ganesh Visarjan 2023:

अनंत चतुर्दशी को Ganesh Visarjan का दिन माना जाता है क्योंकि यह दिन हिन्दू पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी के बाद चौदह दिन तक गणेश उत्सव मनाया जाता है, जिसमें भगवान गणेश की मूर्ति पूजन की जाती है। इसके बाद गणेश मूर्ति को विसर्जित किया जाता है। अनंत चतुर्दशी भगवान गणेश के पूजन के आखिरी दिन के रूप में मनाया जाता है।  इस दिन मूर्ति को Ganesh Visarjan के लिए नदी,समुंदर या अन्य जल स्रोत में डाला जाता है।

यह पारंपरिक रूप से गणेश उत्सव का अवसर होता है।  लोग इस अवसर पर भगवान गणेश को विदा करते हैं और उनकी आशीर्वाद की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। Ganesh Visarjan का यह पर्व विशेष रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, और अन्य पश्चिमी भारतीय राज्यों में महत्वपूर्ण होता है और बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

अनंत चतुर्दशी तिथि 
चतुर्दशी तिथि आरंभ – 27 सितंबर 2023 को रात 10:18 बजे से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 28 सितंबर, 2023 को शाम 06:49 बजे

गणपति विसर्जन शुभ मुहूर्त
प्रातःकाल का मुहूर्त (शुभ)- प्रातः 06:27 बजे से प्रातः 07:57 बजे तक
सुबह का मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – सुबह 10:57 बजे से दोपहर 03:28 बजे तक
दोपहर का मुहूर्त (शुभ) – 04:58 PM से 06:28 PM तक
शाम का मुहूर्त (अमृत, चर) – शाम 06:28 बजे से रात 09:28 बजे तक
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:28 पूर्वाह्न से 01:57 पूर्वाह्न, 29 सितंबर

Ganesh Visarjan का महत्व:

Ganesh Visarjan का महत्व भाग्यशाली और समृद्धि की प्राप्ति के लिए प्रार्थना करने के रूप में है। गणेश जी को आपके घर में आने के बाद, विसर्जन के समय विदाई का आदर देना होता है, और वे अपने माता-पिता शिव-पार्वती के पास लौटते हैं। इसके साथ ही, यह त्योहार प्राकृतिक सौंदर्य को भी मनाने का मौका प्रदान करता है, क्योंकि Ganesh Visarjan के समय समुद्र के किनारे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

श्री गणेश स्थापना व विसर्जन की परंपरा

Ganesh Visarjan

श्री गणेश और महर्षि वेद व्यास का संगम

धर्म ग्रंथों के अनुसार, महर्षि वेद व्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना करने का निर्णय लिया और इस दिव्य अनुष्ठान को संपन्न करने के लिए वेदव्यास जी ने गंगा नदी के किनारे एकांत पवित्र स्थल का चुनाव किया। लेखन का कार्य महर्षि के वश का नहीं था। इसलिए उन्होंने इसके लिए भगवान श्री गणेश की आराधना की और उनसे प्रार्थना करी कि वे एक महाकाव्य जैसे महान ग्रंथ को लिखने में उनकी सहायता करें। गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारंभ हुआ।

गणेश चतुर्थी से शुरू होता है महाभारत का लेखन

महर्षि वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी के दिन से ही भगवान गणेश को लगातार 10 दिन तक महाभारत की कथा सुनाई थी, जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरशः लिखा था। महर्षि वेद व्यास जी ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की और लेखन का शुभ कार्य आरंभ कर दिया। महाकाव्य कहे जाने वाले महाभारत ग्रंथ का लेखन कार्य लगातार 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी के दिन यह लेखन कार्य संपन्न हुआ।

लेकिन जब कथा पूरी होने के बाद महर्षि वेदव्यास ने आंखें खोली तो देखा कि इस दिव्य काव्य के तेज व अत्याधिक मेहनत करने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है। ऐसे में गणेश जी के शरीर का तापमान कम करने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने गंगा नदी में गणेश जी को स्नान करवाया। अनंत चर्तुदशी के दिन गणेश जी के तेज को शांत करने के लिए गंगा नदी में स्नान कराया गया था, इसीलिए इस दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने का चलन भी शुरू हुआ। पौराणिक ग्रंथों में भी गणेश प्रतिमा के विसर्जन का उल्लेख किया गया है।

ALSO READ : Ganesh Chaturthi 2023

Ganesh Visarjan की पारंपरिक रूप:

इस पर्व की पारंपरिक रूप में गणेश जी की मूर्ति को घरों में स्थापित किया जाता है और नौ दिनों तक पूजा की जाती है। इसके बाद, मूर्ति को विसर्जित किया जाता है और समुद्र में ले जाया जाता है। यह पारंपरिक रूप में अपनी विविधता और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

Ganesh Visarjan और पर्यावरण संरक्षण:

आजकल, Ganesh Visarjan को पर्यावरण संरक्षण के साथ मनाने की प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है। अब, प्लास्टिक और अन्य प्रदूषण करकरी सामग्री का उपयोग नहीं किया जाता, और इस पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले क्रियाओं से बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

Lalbagcha Raja LIVE Visarjan :

Ganesh Visarjan का सामाजिक संदेश:

Ganesh Visarjan का यह उद्देश्य नहीं है केवल एक पारंपरिक पर्व का मनाना, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी देता है। इसके माध्यम से हम समझाते हैं कि हमें अपने जीवन में धर्म, सद्गुण, और सच्चे भावनाओं का पालन करना चाहिए।

Ganesh Visarjan का यह अर्थ है कि हमें अपने जीवन से बुराई को विसर्जित करना चाहिए और सद्गुणों को अपनाना चाहिए। इसके साथ ही, हमें प्रकृति का सही ढंग से संरक्षण करने की भी जिम्मेदारी है। Ganesh Visarjan हमें यह सिखाता है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का सही ढंग से उपयोग करना चाहिए और पर्यावरण का सम्मान करना चाहिए।

इस तरह, Ganesh Visarjan एक महत्वपूर्ण पर्व है जो हमें धार्मिक, सामाजिक, और पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाता है और हमारे समाज को एकता और सामंजस्य की दिशा में अग्रसर करता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *