“Rama Ekadashi Vrat Katha 2023: इस कथा को पढ़ना न भूलें, जनिए कैसे पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएँ”

Rama Ekadashi Vrat Katha:

एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ ही मां लक्ष्मी की भी पूजा होती है.

Rama Ekadashi

हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण और फलदायी माना गया है. हिंदी कैलेंडर के अनुसार हर माह दो एकादशी व्रत आते हैं और इस तरह साल में कुल 24 एकादशी व्रत होते हैं. प्रत्येक एकादशी का अपना एक अलग महत्व होता है.

कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का रमा एकादशी कहा जाता है और इस दिन भगवान विष्णु व मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. कहते हैं कि इस व्रत को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर घर में वास करती हैं और इससे सुख-समृद्धि व सौभाग्य प्राप्त होता है. पंचांग के अनुसार रमा एकादशी का व्रत आज यानि 9 नवंबर 2023 को रखा जाएगा. इस दिन पूजा करने के बाद व्रत कथा अवश्य पढ़नी चाहिए.

Rama Ekadashi 2023 Date:

This year, the auspicious occasion of Rama Ekadashi will be observed on Thursday, November 9, 2023.

Parana Time for Rama Ekadashi 2023:

As per Drik Panchang, the shubh muhurat and puja timings for Rama Ekadashi in 2023 are as follows:

  • Date: Thursday, October 9, 2023
  • Tithi Begins: 08:23 AM, November 8, 2023
  • Tithi Ends: 10:41 AM, November 9, 2023
  • Parana Timings: 06:39 AM – 10:16 AM, November 10, 2023

Rama Ekadashi व्रत कथा:

एक नगर में मुचुकुंद नाम के प्रतापी राजा थे. उनकी चंद्रभागा नाम की एक पुत्री थी. राजा ने बेटी का विवाह राजा चंद्रसेन के बेटे शोभन के साथ कर दिया. शोभन थोड़ा दुर्बल था. वह एक समय भी बिना खाएं नहीं रह सकता था. शोभन एक बार कार्तिक के महीने में अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल आया था. तभी रमा एकादशी आ गई. चंद्रभागा के गृह राज्य में सभी इस व्रत को रखते थे. शोभन को भी यह व्रत रखने के लिए कहा गया.

किन्तु शोभन इस बात को लेकर चिंतित हो गया कि वह तो एक पल को भी भूखा नहीं रह सकता. फिर वह रमा एकादशी का व्रत कैसे करेगा. यह चिंता लेकर वह अपनी पत्नी के पास गया और कुछ उपाय निकलने को कहा. इस पर चंद्रभागा ने कहा कि अगर ऐसा है तो आपको राज्य से बाहर जाना होगा. क्योंकि राज्य में कोई भी ऐसा नहीं है, जो इस व्रत को ना करता हो. यहां तक कि जानवर भी अन्न ग्रहण नहीं करते.

लेकिन शोभन ने यह उपाय मानने से इंकार कर दिया और उसने व्रत करने की ठान ली. अगले दिन सभी के साथ सोभन ने भी एकादशी का व्रत किया. लेकिन वह भूख और प्यास बर्ताश्त नहीं कर सका और प्राण त्याग दिया. चंद्रभागा सती होना चाहती थी. मगर उसके पिता ने यह आदेश दिया कि वह ऐसा ना करे और भगवान विष्णु की कृपा पर भरोसा रखे. चंद्रभागा अपने पिता की आज्ञानुसार सती नहीं हुई.

वह अपने पिता के घर रहकर एकादशी के व्रत करने लगी. उधर रमा एकादशी के प्रभाव से सोभन को जल से निकाल लिया गया और भगवान विष्णु की कृपा से उसे मंदराचल पर्वत पर धन-धान्य से परिपूर्ण तथा शत्रु रहित देवपुर नाम का एक उत्तम नगर प्राप्त हुआ. उसे वहां का राजा बना दिया गया. उसके महल में रत्न तथा स्वर्ण के खंभे लगे हुए थे. राजा सोभन स्वर्ण तथा मणियों के सिंहासन पर सुंदर वस्त्र तथा आभूषण धारण किए बैठा था.

गंधर्व तथा अप्सराएं नृत्य कर उसकी स्तुति कर रहे थे. उस समय राजा सोभन मानो दूसरा इंद्र प्रतीत हो रहा था. उन्हीं दिनों मुचुकुंद नगर में रहने वाला सोमशर्मा नाम का एक ब्राह्मण तीर्थयात्रा के लिए निकला हुआ था. घूमते-घूमते वह सोभन के राज्य में जा पहुंचा, उसको देखा. वह ब्राह्मण उसको राजा का जमाई जानकर उसके निकट गया. राजा सोभन ब्राह्मण को देख आसन से उठ खड़ा हुआ और अपने ससुर तथा पत्‍नी चंद्रभागा की कुशल क्षेम पूछने लगा.

सोभन की बात सुन सोमशर्मा ने कहा हे राजन हमारे राजा कुशल से हैं तथा आपकी पत्नी चंद्रभागा भी कुशल है. अब आप अपना वृत्तांत बतलाइए. आपने तो रमा एकादशी के दिन अन्न-जल ग्रहण न करने के कारण प्राण त्याग दिए थे. मुझे बड़ा विस्मय हो रहा है कि ऐसा विचित्र और सुंदर नगर जिसको न तो मैंने कभी सुना और न कभी देखा है, आपको किस प्रकार प्राप्त हुआ.

इस पर सोभन ने कहा हे देव यह सब कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी के व्रत का फल है. इसी से मुझे यह अनुपम नगर प्राप्त हुआ है किंतु यह अस्थिर है. सोभन की बात सुन ब्राह्मण बोला हे राजन यह अस्थिर क्यों है और स्थिर किस प्रकार हो सकता है, सों आप मुझे समझाइए. यदि इसे स्थिर करने के लिए मैं कुछ कर सका तो वह उपाय मैं अवश्य ही करूंगा.

राजा सोभन ने कहा हे ब्राह्मण देव मैंने वह व्रत विवश होकर तथा श्रद्धारहित किया था. उसके प्रभाव से मुझे यह अस्थिर नगर प्राप्त हुआ परंतु यदि तुम इस वृत्तांत को राजा मुचुकुंद की पुत्री चंद्रभागा से कहोगे तो वह इसको स्थिर बना सकती है. राजा सोभन की बात सुन ब्राह्मण अपने नगर को लौट आया और उसने चंद्रभागा से सारा वाक्या सुनाया.

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इस पर राजकन्या चंद्रभागा बोली हे ब्राह्मण देव आप क्या वह सब दृश्य प्रत्यक्ष देखकर आए हैं या अपना स्वप्न कह रहे हैं. चंद्रभागा की बात सुन ब्राह्मण बोला हे राजकन्या मैंने तेरे पति सोभन तथा उसके नगर को प्रत्यक्ष देखा है किंतु वह नगर अस्थिर है. तू कोई ऐसा उपाय कर जिससे कि वह स्थिर हो जाए.

ब्राह्मण की बात सुन चंद्रभागा बोली हे ब्राह्मण देव आप मुझे उस नगर में ले चलिए मैं अपने पति को देखना चाहती हूं. मैं अपने व्रत के प्रभाव से उस नगर को स्थिर बना दूंगी. चंद्रभागा के वचनों को सुनकर वह ब्राह्मण उसे मंदराचल पर्वत के पास वामदेव के आश्रम में ले गया. वामदेव ने उसकी कथा को सुनकर चंद्रभागा का मंत्रों से अभिषेक किया.

चंद्रभागा मंत्रों तथा व्रत के प्रभाव से दिव्य देह धारण करके पति के पास चली गई. सोभन ने अपनी पत्नी चंद्रभागा को देखकर उसे प्रसन्नतापूर्वक आसन पर अपने पास बैठा लिया. चंद्रभागा ने कहा हे स्वामी अब आप मेरे पुण्य को सुनिए जब मैं अपने पिता के घर में आठ वर्ष की थी तब ही से मैं सविधि एकादशी का व्रत कर रही हूं. उन्हीं व्रतों के प्रभाव से आपका यह नगर स्थिर हो जाएगा और सभी कर्मों से परिपूर्ण होकर प्रलय के अंत तक स्थिर रहेगा.

चंद्रभागा दिव्य स्वरूप धारण करके तथा दिव्य वस्त्रालंकारो से सजकर अपने पति के साथ सुखपूर्वक रहने लगी.

Rama Ekadashi Puja Rituals:

Devotees begin the day by taking a holy bath and dressing up. The puja emphasizes unwavering devotion and commitment, including a promise to observe a dedicated fast and refrain from wrongdoing. Idols of Lord Vishnu and Goddess Laxmi are installed, and devotees offer diya, sweets, flowers, vermillion, panchamrit, and tulsi patra to appease Lord Vishnu.

During the evening puja, bhog prasad is offered, Vishnu Sahastranaam and Shree Hari Stotram are recited, and Lord Vishnu’s aarti is chanted. On Dwadashi Tithi, the fast technically ends, and devotees break their fast with a satvik meal after the evening aarti. It is customary to visit a temple, seek blessings from Lord Vishnu or Lord Krishna, and avoid harmful activities such as gambling and gossiping.

Rama Ekadashi Significance:

According to Hindu scriptures, observing the Rama Ekadashi Vrat allows devotees to attain salvation and cleanse themselves of past and present sins. This includes the sin of Brahm Hatya, the murder of a Brahmin. Those fasting on Rama Ekadashi are believed to reach the dominion of Lord Shri Hari, Vaikunth dhaam. The vrat is considered equivalent to one hundred Rajasuya Yagyas or one thousand Ashvamedha Yagyas. Devotees who worship Lord Vishnu with devotion are said to receive wealth, health, prosperity, and the fulfillment of their wishes.

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